GST लागू होने के बाद ज्वैलरी खरीदने से लेकर उसे बेचने के लिए अब कन्ज्यूमर टैक्स चुकाने होंगे। साथ ही कारोबारियों के लिए कई सारे कॉम्प्लायंस भी बढ़ जाएंगे। ऐसे में जीसएटी से ज्वैलरी इंडस्ट्री पर किस तरह का असर होगा। साथ ही उसे लागू करने के लिए कारोबारियों को किन बातों का ध्यान रखना होगा जीएसटी काउंसिल की मीटिंग में ज्वैलरी के लेबर चार्ज पर सर्विस टैक्स 5 फीसदी तय कर दिया है। ज्यादातर ज्वैलर 8 से 30 फीसदी तक लेबर चार्ज लेते हैं। ऐसे में कस्टमर को पुरानी ज्वैलरी की मरम्मत कराना, वैल्यू एडिशन कराना थोड़ा महंगा पड़ सकता है। अभी तक लेबर की सर्विस पर कोई टैक्स नहीं लगता था लेकिन जीएसटी में कस्टमर को 5 फीसदी टैक्स चुकाना होगा। हालांकि, नई ज्वैलरी खरीदने पर लेबर चार्ज पर सर्विस टैक्स का असर कस्टमर की जेब पर नहीं पड़ेगा।

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कस्टमर को ज्वैलरी खरीदने और बेचने पर GST में देना होगा टैक्स

ज्वैलरी बेचने पर आपको होगी चेक से पेमेंट, नहीं मिलेगा कैशGST में पुरानी गोल्ड ज्वैलरी बेचने पर देना होगा टैक्सज्वैलरी खरीदने पर देना होगा ज्यादा टैक्सलेबर चार्ज पर देना होगा सर्विस टैक्स

 ज्वैलरी में वैल्यू एडिशन पर ही लगेगा टैक्स

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने caknowledge.in को बताया कि पुरानी ज्वैलरी की मरम्मत या वैल्यू एडिशन कराने जैसे कामों में जिसमें सीधे तौर पर लेबर से काम कराया जाता है, उस पर 5 फीसदी सर्विस टैक्स कस्टमर को देना पड़ सकता है क्योंकि इस पर ज्वैलर को इन्पुट क्रेडिट नहीं मिलेगा। अभी मौजूदा टैक्स सिस्टम में लेबर की सर्विस पर टैक्स नहीं लगता।

 इतना होता है मेकिंग चार्ज

चांदनी चौक के ज्वैलर तरूण गुप्ता ने caknowledge.in को बताया कि ज्वैलर 8 से 30 फीसदी तक लेबर चार्ज लेते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर 10,000 रुपए के ज्वैलरी पर कस्टमर वैल्यू एडिशन कराता है, लेबर चार्ज 10 फीसदी यानी 1,000 रुपए चार्ज करता है। तो कस्टमर को 5 फीसदी के हिसाब से 50 रुपए सर्विस टैक्स देना होगा।

ज्वैलर नहीं दे सकता 10 हजार से ज्यादा कैश

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी ट्रेड फेडरेशन के चेयरमैन नितिन खंडेलवाल ने बताया कि GST में ज्वैलर को 10,000 रुपए से अधिक की पेमेंट चेक से ही करनी है। ज्वैलर 10,000 रुपए से अधिक की ट्रांजेक्शन कैश में नहीं कर सकता। यानी, अगर आपने 4 या 5 ग्राम की ज्वैलरी बेची और उसका अमाउंट 11,000 रुपए बनता है, तब भी ज्वैलर आपको चेक से ही पेमेंट करेगा। आपको पुरानी ज्वैलरी बेचने से हुई इनकम को अपनी इनकम टैक्स रिटर्न में भी दिखाना होगा।

ज्वैलरी बेचकर नई खरीदने पर 2 बार देना होगा टैक्स

आपने 50 ग्राम की ज्वैलरी बेची और 70 ग्राम की नई ज्वैलरी खरीदी, तो कस्टमर को दो बार टैक्स चुकाना होगा। ज्वैलर को पुरानी ज्वैलरी यानी 50 ग्राम पर 3 फीसदी रिवर्स चार्ज चुकाना होगा। नई ज्वैलरी 70 ग्राम पर अलग 3 फीसदी GST चुकाना होगा।

10,000 रुपए से ज्यादा की ट्रांजेक्शन होगी ऑन रिकॉर्ड

अभी तक 2 लाख की ज्वैलरी खरीदने पर कस्टमर का पैन कार्ड जरूरी है और कस्टमर के 10,000 रुपए से ज्यादा की ज्वैलरी बेचने पर ज्वैलर चेक देगा। चेक से केवाईसी हो जाएगी और 10,000 रुपए से ज्यादा की सभी ट्रांजेक्शन ऑन रिकॉर्ड अपने आप हो जाएगी।ज्वैलरी बेचकर नई खरीदने पर 2 बार देना होगा टैक्स आपने 50 ग्राम की ज्वैलरी बेची और 70 ग्राम की नई ज्वैलरी खरीदी, तो कस्टमर को दो बार टैक्स चुकाना होगा। ज्वैलर को पुरानी ज्वैलरी यानी 50 ग्राम पर 3 फीसदी रिवर्स चार्ज चुकाना होगा। नई ज्वैलरी 70 ग्राम पर अलग 3 फीसदी GST चुकाना होगा।

GST में पुरानी ज्वैलरी बेचने पर चुकाना होगा टैक्स

ज्वैलरी बेचने पर आपको रिवर्स चार्ज चुकाना होगा। अगर आपने 50 ग्राम की ज्वैलरी ज्वैलर को बेची, तो ज्वैलर आपसे 3 फीसदी रिवर्स चार्ज लेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि उस केस में कस्टमर एक अनरजिस्टर्ड डीलर है जिससे ज्वैलर गोल्ड खरीद रहा है। पुरानी ज्वैलरी खरीदने पर ज्वैलर को 3 फीसदी रिवर्स चार्ज सरकार को देना होगा और इस पर उसे सरकार की तरफ से रिटर्न (3 फीसदी रिवर्स चार्ज का) नहीं मिलेगा। ऐसे में ज्वैलर ये 3 फीसदी रिवर्स चार्ज कस्टमर से लेगा।

ज्वैलरी की भारी कराने पर भी चुकाना होगा टैक्स

आप अपनी मां की या पुरानी ज्वैलरी को बेचना नहीं चाहते। सिर्फ उसे भारी कराना या वैल्यू एडिशन कराना चाहते हैं, तो आपको टैक्स चुकाना होगा। उसमें लेबर चार्ज पर 18 फीसदी सर्विस टैक्स आपको देना होगा। अभी तक मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर में लेबर चार्ज पर सर्विस टैक्स में छूट मिली हुई थी लेकिन GST में ऐसा नहीं है। पहले ज्वैलरी की मेकिंग में ली गई सर्विस पर सर्विस टैक्स नहीं था लेकिन अब जहां भी ज्वैलरी में सर्विस टैक्स लगेगा, वह कस्टमर को देना होगा।

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ज्वैलरी खरीदने पर चुकाना होगा टैक्स

कस्टमर को गोल्ड, सिल्वर, डायमंड ज्वैलरी, क्वाइन और बार को खरीदने पर 3 फीसदी टैक्स चुकाना होगा। आपको पुरानां गोल्ड सिल्वर, डायमंड ज्वैलरी, क्वाइन और बार ज्वैलर को बेचते समय भी 3 फीसदी रिवर्स चार्ज चुकाना होगा। सवाल– GST में गोल्ड, सिल्वर और डायमंड ज्वैलरी पर 3 फीसदी टैक्स का प्रावधान है। इसका आम आदमी से लेकर इंडस्ट्री पर क्या असर होगा। जवाब – इसका असर राज्यों के आधार पर होगा। जैसे ज्यादातर राज्यों में 2 फीसदी टैक्स है। जिसमें एक्साइज और वैट शामिल है। ऐसे में इन राज्यों में कस्टमर पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा। कुल मिलाकर उसे ज्वैलरी की खरीद पर ज्यादा पैसे देने होंगे। जबकि महाराष्ट्र में अभी 2.7 फीसदी टैक्स है। ऐसे में इन राज्यों में कन्ज्यूमर पर बहुत मामूली असर आएगा। सवाल– GST में रिवर्स चार्ज क्या है और ये कैसे लगेगा? जवाब– रिवर्स चार्ज ऐसे ज्वैलर्स को देना होगा, जो कि 20 लाख से कम टर्नओवर के तहत आते हैं। ऐसे कारोबारियों से अगर कोई 20 लाख से ज्यादा टर्नओवर वाला कारोबारी ज्वैलरी या क्वाइन, बार की खरीद करता है। तो बड़े कारोबारी को रिवर्स चार्ज 3 फीसदी सरकार को चुकाना होगा। जिस पर उसे कोई इन्पुट क्रेडिट नहीं मिलेगा। ऐसा इसलिए है कि क्योंकि, 20 लाख रुपए से कम टर्नओवर वाला GST के दायरे में नहीं आएगा और उसे कोई टैक्स नहीं देना होगा। सवाल- ऐसी बात कही जा रही है कि पुरानी ज्वैलरी बेचने परGST में कन्ज्यूमर को कई तरह के टैक्स देने पड़ेंगे, ये कितना सही है.. जवाब- कस्टमर को पुरानी ज्वैलरी बेचने में तीन तरह के टैक्स चुकाने पड़ सकते हैं। जो कि उसके तरीके पर निर्भर करेगा। मसलन अगर वह ज्वैलरी बेचकर सिर्फ कैश लेता है तो उसे 3 फीसदी रिवर्स चार्ज देना होगा। दूसरा अगर कस्टमर पुरानी ज्वैलरी में ही वैल्यु एडिशन कराता है, तो उसे 18 फीसदी सर्विस टैक्स चुकाना होगा। जो कि लेबर चार्ज पर लगेगा। तीसरी कैटेगरी यह है कि अगर आपने पुरानी ज्वैलरी बेचकर नई खरीदी तो उसे 3 फीसदी रिवर्स चार्ज और 3 फीसदी GST भी देना होगा। सवाल– यानी कस्टमर के लिए ज्वैलरी खरीदना और बेचना दोनो महंगा हो जाएगा.. जवाब– हां, पहले ज्वैलरी की मेकिंग में ली गई सर्विस पर सर्विस टैक्स नहीं था लेकिन अब जहां भी ज्वैलरी में सर्विस टैक्स लगेगा, वह कस्टमर को भी देना होगा। ऐसे में कस्टमर के लिए ज्वैलरी की फाइनल कीमत पर असर पड़ेगा। सवाल– अभी तक 2 लाख रुपए से ज्यादा की ज्वैलरी पर खरीदने पर कस्टमर पैन नंबर देना पड़ता है, तो क्या बेचने पर भी पैन डिटेल देनी होगी क्योंकि उसे GST पर रिवर्स चार्ज देना होगा? जवाब– GST में एक रजिस्टर्ड डीलर या ज्वैलर को 10,000 रुपए से अधिक की पेमेंट चेक से करनी है। वह 10,000 रुपए से अधिक की ट्रांजैक्शन कैश में नहीं कर सकता। यानी, अगर कोई 4 या 5 ग्राम की ज्वैलरी बेचने आता है और उसका अमाउंट 11,000 रुपए बनता है, तब भी ज्वैलर को चेक से ही पेमेंट करना होगा। ज्वैलर 10,000 रुपए की ज्यादा की ज्वैलरी कैश में नहीं खरीद सकता। यानी, अभी तक 2 लाख की ज्वैलरी खरीदने पर कस्टमर का पैन कार्ड जरूरी है और कस्टमर के 10,000 रुपए से ज्यादा की ज्वैलरी बेचने पर ज्वैलर चेक देगा। चेक से केवाईसी हो जाएगी और 10,000 रुपए से ज्यादा की सभी ट्रांजैक्शन ऑन रिकॉर्ड अपने आप हो जाएंगे। सवाल– ज्वैलर्स में इन्पुट क्रेडिट क्रेडिट को लेकर काफी अफवाहें हैं कि उन्हें GST में इन्पुट क्रेडिट नहीं मिलेगा। इस पर आप क्या कहेंगे? जवाब– GST में ज्वैलर को तीन तरह का इन्पुट क्रेडिट मिलेगा। हालांकि, इन्पुट क्रेडिट कब और कैसे मिलेगा वह 11 जून को होने वाली मीटिंग के बाद फाइनल होगा। अभी जो GST ड्राफ्ट है उसमें तीन तरीके से इन्पुट क्रेडिट ज्वैलर को मिलेगा।

पहला, जो भी ज्वैलरी ज्वैलर ने डीलर से लिया है, उस पर उसे इन्पुट क्रेडिट मिलेगा।दूसरा, ज्वैलर को कैपिटल गुड्स पर इन्पुट क्रेडिट मिलेगा। जैसे ज्वैलर ने अगर शोरूम के लिए एसी खरीदा, उस पर GST दिया, तो उस पर इन्पुट क्रेडिट मिलेगा। ऐसे कैपिटल गुड्स प्रोडक्ट जो ज्वैलर ने खरीदा लेकिन बेचा नहीं और उसे इस्तेमाल कर रहा है उस पर सरकार इन्पुट क्रेडिट देगी।तीसरा, जो सर्विस ज्वैलर लेता है, उस पर इन्पुट क्रेडिट मिलेगा। यानी जैसे ज्वैलर चार्टेड अकाउंटेंट, वकील, हालमार्किंग, सर्टिफिकेट जैसी सर्विस लेता है तो उस पर भी इन्पुट क्रेडिट मिलेगा।

सवाल – ज्वैलर को एक से दो साल पुरानी ज्वैलरी पर इन्पुट क्रेडिट मिलेगा? जवाब – GST में ज्वैलर को पुरानी ज्वैलरी पर पेड एक्साइज ड्यूटी पर 100 फीसदी इन्पुट क्रेडिट मिलेगा लेकिन वैट पर 40 फीसदी इन्पुट क्रेडिट मिलेगा। सवाल – GST आने पर ज्वैलर जो ईएमआई स्कीम चलाते थे, क्या वह पहले जैसे ही चला पाएंगे? जवाब – GST में भी ज्वैलर्स ईएमआई स्कीम चला सकते हैं। बशर्ते, आप 3 फीसदी GST टैक्स दें। सवाल –ऐसे बातें सामनें आ रही है कि ज्वैलर्स सरकार से GST को लेकर अभी भी पूरी तरह से संतुष्ट नहीं है। वह कई मुद्दों पर फाइनेंस मिनिस्ट्री से बातचीत करने वाले हैं जवाब – जॉब वर्कर अभी तक टैक्स से बाहर थे। उनको अगर देखा जाए तो वे ज्यादार अशिक्षित हैं। वह GST का कम्पलॉएंस नहीं कर पाएंगे। GST में सभी कम्पलॉएंस ऑनलाइन है। हमारी सरकार से मांग है कि पहले साल में जॉब वर्कर की थ्रैशहोल्ड लिमिट बढ़ा दी जाए। अभी GST में थ्रैशहोल्ड लिमिट 20 लाख रुपए कर दी गई है, जो अभी एक्साइज में 10 करोड़ रुपए है। ऐसे में छोटा कारीगर भी टैक्स नेट में आ जाएगा। दूसरा, ज्वैलर को कई सामान ट्रांसफर करने पर GST कमिश्नर को डिटेल देनी है। यानी जब भी ज्वैलरी कटिंग के लिए, पॉलिश होने, फिनिशिंग के लिए, जरकन या नग लगाने पर बाहर भेजने की डिटेल कमिश्नर को वैल्यू के साथ डिटेल देनी होगी। इतनी सारी डॉक्यूमेंटेशन वैल्यू अमाउंट के साथ देना ज्वैलर के लिए आसान नहीं होगा। वैसे सरकार ईज ऑफ डूईंग बिजनेस की बात करती है लेकिन इतने डॉक्युमेंटेशन के साथ बिजनेस करना आसान नहीं होगा। Recommended Articles –

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